Bhagwat Gita Shlokas (Social Media)
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भगवद गीता के श्लोक: जीवन में हर व्यक्ति को कभी न कभी असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ये असफलताएँ हमें यह सिखाती हैं कि हम कहाँ गलत हैं और कैसे सुधार कर सकते हैं। यही अनुभव हमें और मजबूत, समझदार और धैर्यवान बनाते हैं। लेकिन कभी-कभी निरंतर असफलता से मन में निराशा और तनाव उत्पन्न हो जाता है।
ऐसे समय में भगवद गीता के श्लोक न केवल मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी लाते हैं। आइए जानते हैं इन श्लोकों के बारे में।
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"
इसका अर्थ है कि आपका अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं। यदि कोई व्यक्ति बिना फल की चिंता किए अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करे, तो वह अवश्य सफल होगा। ये श्लोक सुबह उठकर पढ़ने से आपको हमेशा सफलता मिलेगी।
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते...यह श्लोक बताता है कि किसी वस्तु के बारे में बार-बार सोचने से अशांति उत्पन्न होती है, और जब इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं, तो क्रोध आता है। इसलिए इच्छाओं पर नियंत्रण आवश्यक है।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्भगवान श्रीकृष्ण ने काम, क्रोध और लोभ को तीन नरक के द्वार बताया है। इनसे दूर रहना ही जीवन की सफलता और शांति की कुंजी है।
जो व्यक्ति श्रद्धा और संयम रखता है, वह ज्ञान और शांति प्राप्त करता है।
इसलिए जब जीवन कठिन लगे, तो गीता के श्लोकों से प्रेरणा लें। ये न केवल मार्गदर्शन करेंगे, बल्कि आपके मन को स्थिर और शांत भी बनाएंगे।
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